पड़ोस की कुंवारी लड़की की चूत फाड़ चुदाई
देसी गुजराती सेक्स कहानी अहमदाबाद की है. वहां मैं किराये के घर में रहता था. मकर संक्रांति के दिन मैं पतंगबाजी देखने छत पर चला गया. साथ वाली छत पर एक जवान लड़की थी. Antarvasna, Antarvasna Story
दोस्तो, मेरा नाम अजय है.
मेरी पिछली कहानी थी:
अचानक मिली अनजान लड़की चुद गयी
मेरी यह नई देसी गुजराती सेक्स कहानी अहमदाबाद की है.
अहमदाबाद में मेरी नई नौकरी लगी थी.
वहां मैंने रहने के लिए एक ब्रोकर के द्वारा एक अच्छी सोसाइटी में मकान ले लिया था.
वह मकर संक्रांति पर्व का दिन था, उस दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी.
सभी छत पर पतंग उड़ा रहे थे.
मैं भी छत पर चला गया.
श्रेणी
- Antarvasna videos
- Audio Sex Story
- Bengali Sex Stories
- call girls
- Desi Kahaniya
- English sex stories
- Family Sex Stories
- Foreigner Sex Stories
- Friend Sex Stories
- Girlfriend Sex Stories
- Group Sex Story
- Hindi Sex Story
- Hindi Web Series Videos
- Homemade Porn Videos
- Indian Porn Videos
- Indian Sex Stories
- Marathi Sex Stories
- Office Sex
- Punjabi Sex Stories
- Teacher Sex Stories
- Teen Porn Videos
- Village Sex Stories
- XXX Kahani
- अन्तर्वासना
- आंटी की चुदाई
- इंडियन बीवी की चुदाई
- कोई देख रहा है
- कोई मिल गया
- गुरु घण्टाल
- गे सेक्स स्टोरी
- चाची की चुदाई
- चुदाई की कहानी
- जवान लड़की
- जीजा साली की चुदाई
- नौकर-नौकरानी
- पड़ोसी
- पहली बार चुदाई
- फोन सेक्स चैट
- बाप बेटी की चुदाई
- बीवी की अदला बदली
- बॉलीवुड फैन्टेसी
- भाई बहन
- भाभी की चुदाई
- माँ की चुदाई
- रंडी की चुदाई / जिगोलो
- रिश्तों में चुदाई
- लड़कियों की गांड चुदाई
- लेस्बीयन सेक्स स्टोरीज
- सबसे लोक़प्रिय कहानियाँ
- सेक्स सम्बन्धी जानकारी
- हास्य रस- चुटकुले
- हिंदी सेक्स स्टोरीज
मेरे मकान मालिक की छत से पड़ोस वाली छत मिली थी, बस एक छोटी सी मुंडेर ही बीच की सीमा थी.
पड़ोस के बच्चे भी पतंग उड़ा रहे थे.
उनके साथ ही एक खूबसूरत लड़की भी थी.
उसकी उम्र यही कोई 22 या 23 की होगी.
वह शर्ट और स्कर्ट पहने हुए पतंगबाजी देख रही थी.
जब भी कोई पतंग कटती तो वह जोर से चिल्ला कर उछलती … इससे उसके बोबे उछलते.
शायद उसने ढीली ब्रा पहनी हुई थी.
यह दृश्य देख कर मेरे लंड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
एकाध बार ऐसा भी हुआ कि किसी पतंग के कटने पर मैंने भी जोश में चिल्ला दिया.
उसी समय वह लड़की भी पूरे जोश में चिल्लाई.
अचानक से चिल्लाने के बाद उसने मेरी तरफ देखा कि ये कौन नया चिल्ला रहा है.
उसी वक्त मैंने भी उसकी तरफ देखा.
मैंने उसे अपनी तरफ देखते हुए पाया तो मैं मुस्कुरा दिया.
वह भी मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगी थी.
अब हम दोनों बार बार चिल्लाते हुए पतंगबाजी का आनन्द लेने लगे थे.
मैं पतंगबाजी से ज्यादा उसके उछलते हुए दूध देख कर चिल्ला रहा था.
एक बार मेरे मुँह से निकल गया- वाह क्या बात है … क्या उछाले हैं यार … मजा आ गया.
वह मेरी तरफ घूर कर देखने लगी कि मैं क्या उछलने की कह रहा हूँ.
मैंने उसकी तरफ हँसते हुए देखा और आंख दबा दी.
वह भी हंस दी और उसने अपनी शर्ट को ठीक करके अपने मम्मों को अडजस्ट किया.
इतने में उसकी मम्मी नाश्ते की ट्रे में फाफड़ा जलेबी लेकर आईं.
उन्होंने उस लड़की को पारुल कह कर आवाज दी कि पारुल आ जा, नाश्ता कर ले.
इससे मुझे उस लड़की का नाम मालूम पड़ गया.
उसकी मम्मी नाश्ते के ट्रे देकर नीचे चली गईं.
तभी उस लड़की पारुल ने मुझे आवाज देकर अपनी छत पर बुलाया- आइए, आप भी नाश्ता कर लीजिए.
यह कह कर उसने मुझे नाश्ता ऑफर किया.
तो मैं अचकचा गया कि यह इतनी जल्दी कैसे मुझे बुला रही है.
कहीं इसने मुझे कुछ और तो नहीं समझ लिया है.
यही सब सोच कर पहले तो मैंने मना किया, पर पारुल प्लेट लेकर मुंडेर के पास आ गई.
उसने कहा- इस तरफ आ जाओ.
मैं मुंडेर पार करके उसकी तरफ चला गया.
जैसे ही मैंने प्लेट से नाश्ता उठाया, वह नाश्ता मेरे हाथ से छूट कर नीचे गिर गया.
वह झुक कर उठाने लगी तो उसकी शर्ट के गहरे खुले गले से उसके दोनों रसभरे बोबे दिख गए.
मैं अभी उसके चूचों को अपनी आंखों से चोद ही रहा था कि वह ऊपर को उठी और उठते समय उसका हाथ मेरे खड़े लंड से टच हो गया.
एकदम से मैं चिहुँक उठा.
वह मुस्करा दी.
मैंने उसको देखा तो इस बार उसने आंख मार कर अपने होंठों पर जीभ फेर कर चुदास जाहिर कर दी.
मैं सनाका खा गया कि लौंडिया एकदम शताब्दी एक्सप्रेस की तरह भागने वाली है.
वह कहने लगी- हम्म … कैसा लगा?
मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा. फिर मैंने पूछा- क..क्या?
वह इठलाते हुए बोली- मेरे फेफड़े?
मैंने अचकचा कर फिर से पूछा- क्या?
वह हंस कर बोली- मेरी मम्मी के हाथ के बने फाफड़े कैसे लगे … यही तो पूछ रही हूँ और क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी का कोई जबाव नहीं है. उन्होंने अपनी बनाई हर चीज से मेरा मन मोह लिया है?
वह शायद समझ गई थी कि मैं उसके लिए कह रहा हूँ.
वह हंस कर बोली- मुझे बनाने में सिर्फ मम्मी का हाथ नहीं है. उसमें पापा का भी हा… पापा का वो भी बराबर का हिस्सेदार है.
उसके इस जबाव से मैं चारों खाने चित हो गया था.
मैंने कहा- हां सच में तुम्हारे पापा ने भी बड़ी मेहनत से तुम्हारे जैसी खूबसूरत माल को गढ़ा है.
वह और जोर से हंसी और बोली- मैं तुमको माल लग रही हूँ?
मैंने कहा- माल नहीं … मस्त माल लग रही हो.
वह बोली- अच्छा … और मैं मस्त माल कहाँ से देख रही हूँ?
मैंने कहा- कैसे बताऊं?
वह अपने दूध तानती हुई बोली- जैसे बताना हो, वैसे बता सकते हो.
मन तो हुआ कि इसका दूध दबा कर बता दूं कि तुम्हारे दूध और गांड देख कर कोई भी बता सकता है कि तुम एक मस्त माल हो.
वह बोली- चुप क्यों रह गए … बताओ न!
मैंने कहा- तुम्हें यह जानने की बड़ी जल्दी है क्या कि तुम मस्त माल किधर से लगती हो?
वह बोली- हां मुझे जल्दी है.
मैंने धीमे से कहा- अकेले में मिलोगी, तो तुम्हारे बूब्स दबा कर बता सकता हूँ कि तुम्हारे अन्दर मस्ती किस किस माल से भरी हुई है.
वह वासना से लाल आंखों से मेरे तरफ देखने लगी.
उसने बिंदास पूछा- कितनी देर तक सवारी कर सकते हो?
मैंने कहा- तुमको तृप्त करने के बाद तक.
वह बोली- चलो देखती हूँ.
तब तक पतंग उड़ाते देखते शाम हो गई.
अंधेरा हो गया था.
मैं और पारुल दीवार से सट कर खड़े थे.
मैंने मौका देख कर पारुल की चूची दबा दी.
उसने सिर्फ आह की सिसकारी ली मगर जरा सा भी विरोध नहीं किया.
कुछ देर बाद उसने भी मेरे लंड पर हाथ रखा और उसे दबा दिया.
उस वक्त मेरा लंड पूरी औकात में आ गया था.
उसका हाथ मेरे सख्त लंड पर पड़ा तो वह एकदम से हाथ हटाती हुई बोली- लोहे की चड्डी पहनी है क्या?
मैंने कहा- मैंने चड्डी पहनी ही नहीं है डार्लिंग … तुमने सीधा लंड ही पकड़ा है.
वह दुबारा से लौड़े को पकड़ना चाह रही थी कि तभी उसकी मम्मी ने आवाज लगाई, तो वह नीचे चली गई.
जाते जाते उसने मेरा मोबाइल नंबर ले लिया और बाय करके नीचे भाग गई.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.
मैंने आते ही मुठ मारी और लंड ठंडा करके पानी पीने लगा और पारुल के बारे में सोचने लगा.
फिर खाना बनाया, खाया और सो गया.
रात को 2 बजे मेरे मोबाइल पर मैसेज आया- क्या कर रहे हो? मुझे नींद नहीं आ रही है. छत पर आ जाओ.
मेरी तो फट गई कि नई जगह, नए लोग … छत पर तो जो हुआ, वह तो ठीक था पर अचानक बुलावा?
मैं सोच ही रहा था कि फिर मैसेज आया कि मैं छत पर आ गई हूं.
तो मैं शॉर्ट और बनियान में ही छत पर आ गया.
देखा तो वहां कोई नजर नहीं आया.
उसने ‘शी शी …’ करके मुझे बुलाया.
वह मुंडेर के सहारे बैठी थी. मुंडेर 4 फीट ऊंची रही होगी.
मैं उसके पास गया.
उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर धीरे से कहा- आई लव यू.
उसने दिन वाले कपड़े ही पहने थे.
हां अब शर्ट के नीचे ब्रा नहीं थी.
उसकी शर्ट में झूलते हुए चूचे देख कर मुझे यह अहसास हो गया था.
उसने मेरी गोद में बैठते हुए मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.
मैंने भी उसकी शर्ट में हाथ डाल कर उसके चूचों पर हाथ फिराया.
क्या मुलायम दूध थे … मैंने धीरे धीरे उसके चूचे सहलाना शुरू कर दिया.
मेरा लंड अंगड़ाई ले रहा था.
पारुल को इसका अहसास था क्योंकि वह मेरी गोद में अधलेटी सी बैठी थी.
फिर मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए.
मैं तो उसकी चूचियों को देख कर पागल हो गया.
चांदनी रात थी हम दोनों एक दूसरे की बांहों में समाए हुए थे.
मैं उसकी एक चूची के निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगा.
इससे उसकी घुंडियां कड़क हो गईं.
वह धीरे धीरे गर्म होने लगी. वह मेरी गोद में गांड रख कर बैठी थी और उसकी चूत मेरे लौड़े पर घिस रही थी.
मेरा 7 इंच लंबा 3 इंच लंबा लौड़ा मेरी चड्डी में फुंफकार उठा था और उसकी चूत से टकरा रहा था और देसी गुजराती सेक्स के लिए मचल रहा था.
मैंने उसके एक चूचे को मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
वह वासना से सिसकारने लगी.
मेरा हाथ उसकी जांघों से सरकते हुए उसकी पैंटी पर आ गया.
उसकी चूत गीली हो रही थी.
मैंने पैंटी में से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
वह बिलबिला उठी.
मेरा हाथ उसकी क्रीम से गीला हो गया.
इधर मैं उसके चूचे चूस रहा था, वह मचल रही थी.
वह धीरे से बोली- अब नहीं रहा जाता है … प्लीज डाल दो.
मैंने उसकी पैंटी उतारी और पोजीशन बना कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर चाटने लगा.
उसकी चूत की फांकों को अपने हाथों से फैला कर जीभ अन्दर डाल कर फिराने लगा.
वह कामुक सीत्कार भरने लगी और धीरे से बोली- अब नहीं रहा जाता प्लीज … जल्दी से डाल दो!
मैंने अपने हाथों से उसकी टांगें फैला कर अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर लगाया और धीरे से दबा दिया.
अभी मेरा लंड आधा इंच ही गया होगा कि वह चिल्लाने ही वाली हो गई थी.
उसी वक्त मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और एक जोर का झटका दे दिया.
मेरा लंड करीब दो इंच अन्दर तक घुस गया. उसकी हालत खराब होने लगी.
मैं रुक गया और उसके चूचों को सहलाने व चूसने लगा.
कुछ पल बाद वह थोड़ी शांत हुई.
मैंने एक बार फिर से झटका दिया तो मेरा 7 इंच मोटा लंड उसकी बच्चेदानी से टकराता हुआ जड़ तक समा गया.
मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर रखा था, उसे चीखने का मौका ही नहीं दिया.
वह बेहद छटपटा रही थी.
मैं थोड़ा रुका रहा.
कुछ देर बाद वह शांत हुई.
मैं अब अपना लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा, वह अपनी कमर उठा उठा कर साथ दे रही थी.
कुछ देर बाद वह अकड़ गई और झड़ गई, पर मेरा नहीं निकला था.
मैंने शॉट बढ़ा दिए.
उसकी चूत से निकले चूत रस की वजह से छप छप ठप ठप की आवाज आ रही थी.
कुछ देर बाद मेरा भी निकलने वाला था.
तभी उसने भी कहा- और जोर से!
मैंने फाइनल शॉट लगाने शुरू किए और जोर जोर से ठोकरें मारने लगा.
कुछ ही पल बाद मैंने उसकी चूत में अन्दर गर्म लावा छोड़ दिया और उसी के ऊपर लेट गया.
उसने अपनी पैंटी से मेरा लंड और अपनी चूत पौंछी.
मैंने देखा कि छत के फर्श मेरे वीर्य और उसकी चूत से निकला खून पड़ा था.
वह खून देख कर घबरा गई.
मैंने उसे हिम्मत दी.
उसने अपने कपड़े ठीक किए और उठने लगी, तो उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.
खैर … किसी तरह वह नीचे अपने कमरे में चली गई.
सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने चाय बनाई.
मैं कप में चाय लेकर छत पर चला गया.
तो देखा कि वह छत धो रही है.
उसने मेरी ओर देखा और मुस्करा दी.
कैसी लगी यह देसी गुजराती सेक्स कहानी?
Comments
Post a Comment